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Showing posts from January, 2025

भगवद गीता अध्याय 7 श्लोक 11: पराक्रम और शक्ति का रहस्य

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    परिचय: क्या आपको अपने जीवन में आत्मबल और शक्ति की आवश्यकता है? क्या आप जानना चाहते हैं कि सच्चे पराक्रम का स्रोत क्या है? भगवद गीता के अध्याय 7 के श्लोक 11 में भगवान श्रीकृष्ण बताते हैं कि वे स्वयं पराक्रम और शक्ति के मूल स्रोत हैं। इस लेख में हम इस श्लोक का गहराई से अध्ययन करेंगे और समझेंगे कि इसे अपने जीवन में कैसे अपनाया जाए। श्लोक और उसका उच्चारण: "बलं बलवतां चाहं कामरागविवर्जितम्। धर्माविरुद्धो भूतेषु कामोऽस्मि भरतर्षभ।।" हिंदी अनुवाद: “हे भरतश्रेष्ठ! मैं बलवानों का बल हूँ, जो काम और राग से रहित है। मैं वह इच्छा हूँ जो धर्म के विरुद्ध नहीं है।” श्लोक का गहराई से अर्थ: इस श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण बताते हैं कि वे ही बल (शक्ति) के मूल स्रोत हैं, लेकिन यह शक्ति संयमित और धर्मसम्मत होनी चाहिए। यह केवल बाहरी बल नहीं, बल्कि मानसिक, आध्यात्मिक और नैतिक बल भी है। 🔹 बल की शुद्धता: सच्चा बल वह होता है जो अहंकार से मुक्त हो और किसी भी प्रकार की आसक्ति (कामना) और राग (स्वार्थ) से रहित हो। 🔹 धर्मानुसार इच्छाएँ: भगवान यह भी बताते हैं कि वे उन इच्छाओं में विद्यमान हैं जो धर्म ...

भगवान श्रीकृष्ण का दिव्य ज्ञान | गीता अध्याय 7 श्लोक 10 | गीता सार हिंदी में

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  ॥ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॥ ईश्वर अर्जुन संवाद श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 7 श्लोक 10 - ईश्वर ही संपूर्ण सृष्टि के आधार #BhagavadGita "नमस्कार, आपका स्वागत है इस विशेष गीता ज्ञान सत्र में। श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा – ‘मैं इस समस्त ब्रह्मांड की आत्मा हूँ, सबका आधार हूँ।’"" क्या आप जानते हैं कि हम जिस ऊर्जा से संचालित होते हैं, उसका वास्तविक स्रोत कौन है? आज के इस वीडियो में हम जानेंगे भगवद गीता के अध्याय 7 के श्लोक 10 की गहराई।" "कल के श्लोक में हमने जाना कि श्रीकृष्ण इस जगत के सभी तत्वों के स्रोत हैं। उन्होंने बताया कि जड़ और चेतन प्रकृति उन्हीं से उत्पन्न होती है। आज के श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को बता रहे हैं कि मैं सभी प्राणियों में जीवनी शक्ति का मूल स्रोत हूँ। इसका क्या अर्थ है? और हम इसे अपने जीवन में कैसे अपना सकते हैं? आइए जानते हैं!" "श्री हरि  बोलो ग्रंथराज श्रीमद्भगवद्गीता जी की जय गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यैः शास्त्र विस्तरैः । या स्वयं पद्म नाभस्य मुख पद्माद्विनिः सृता ।। अथ ध्यानम् शान्ताकारं भुजग शयनं पद्म नाभं सुरेशं विश्व आधारं गगन...

गीता ज्ञान: भगवान कृष्ण का अद्भुत संदेश | अध्याय 7 श्लोक 9 | जानें आध्यात्मिक रहस्य

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  ॥ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॥ ईश्वर अर्जुन संवाद श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 7 श्लोक 9 - प्रकृति के अनंत स्वरूप #BhagavadGita "नमस्कार, आपका स्वागत है इस विशेष गीता ज्ञान सत्र में। आज हम चर्चा करेंगे भगवद्गीता के अध्याय 7 के श्लोक 9 की, जिसमें भगवान कृष्ण हमें ब्रह्मांड के गूढ़ रहस्यों का बोध कराते हैं। तो चलिए, इस अद्भुत यात्रा की शुरुआत करते हैं।" "पिछले वीडियो में हमने चर्चा की थी अध्याय 7 के श्लोक 8 पर, जिसमें भगवान कृष्ण ने बताया कि वे किस प्रकार इस सृष्टि में व्याप्त हैं। आज के श्लोक में भगवान कृष्ण प्रकृति के अनंत स्वरूप को बताते हैं। वे कहते हैं कि वे ही हर वस्तु के रस, शक्ति और प्रकृति के मूल स्रोत हैं।" "श्री हरि  बोलो ग्रंथराज श्रीमद्भगवद्गीता जी की जय गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यैः शास्त्र विस्तरैः । या स्वयं पद्म नाभस्य मुख पद्माद्विनिः सृता ।। अथ ध्यानम् शान्ताकारं भुजग शयनं पद्म नाभं सुरेशं विश्व आधारं गगन सदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् । लक्ष्मी कान्तं कमल नयनं योगिभि: ध्यान गम्यम वन्दे विष्णुं भव भयहरं सर्व लोकैक नाथम् ॥ यं ब्रह्मा वरुणेन्द्र रुद्रमरुतः स्तुन...

ईश्वर अर्जुन संवाद श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 7 श्लोक 8 - प्रकृति व दिव्यता के अद्भुत रहस्य

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  ॥ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॥ ईश्वर अर्जुन संवाद श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 7 श्लोक 8 - प्रकृति व दिव्यता के अद्भुत रहस्य #BhagavadGita "नमस्कार मित्रों! स्वागत है आपका हमारे खास श्रृंखला 'भगवद गीता से सीखें' में।  आज हम चर्चा करेंगे अध्याय 7, श्लोक 8 की, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण ने प्रकृति और दिव्यता के अद्भुत रहस्यों का वर्णन किया है।" "पिछले श्लोक में हमने देखा कि भगवान ने किस प्रकार अपने दिव्य स्वरूप को हर वस्तु में व्याप्त बताया। आज हम इस ज्ञान को और गहराई से समझेंगे। आज के श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि वे हर वस्तु में, हर तत्व में उपस्थित हैं। वे प्रकृति के प्रत्येक कण में अपनी दिव्यता का परिचय देते हैं। आइए, इसे विस्तार से समझते हैं।" "श्री हरि  बोलो ग्रंथराज श्रीमद्भगवद्गीता जी की जय गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यैः शास्त्र विस्तरैः । या स्वयं पद्म नाभस्य मुख पद्माद्विनिः सृता ।। अथ ध्यानम् शान्ताकारं भुजग शयनं पद्म नाभं सुरेशं विश्व आधारं गगन सदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् । लक्ष्मी कान्तं कमल नयनं योगिभि: ध्यान गम्यम वन्दे विष्णुं भव भयहरं सर्व लोकैक ना...

ईश्वर अर्जुन संवाद श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 7 श्लोक 7 - श्रीकृष्ण का अद्भुत रहस्योद्घाटन

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 ॥ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॥ ईश्वर अर्जुन संवाद श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 7 श्लोक 7 - श्रीकृष्ण का अद्भुत रहस्योद्घाटन #BhagavadGita नमस्कार दोस्तों, स्वागत है आपका हमारे चैनल पर जहाँ हम भगवद गीता के श्लोकों को सरल और व्यावहारिक रूप से समझते हैं।  हम चर्चा करेंगे भगवद गीता के अध्याय 7, श्लोक 7 पर, जहां श्रीकृष्ण अर्जुन को अद्वितीय रहस्यों का उद्घाटन कराते हैं। तो इस वीडियो को अंत तक जरूर देखें। "पिछले वीडियो में हमने अध्याय 7 के श्लोक 6 पर चर्चा की थी, जिसमें श्रीकृष्ण ने सृष्टि के मूल तत्वों का वर्णन किया। आज के श्लोक में, भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि पूरे ब्रह्मांड का आधार वे स्वयं हैं। कोई भी चीज़ उनसे परे नहीं है। इसका गहरा अर्थ क्या है? चलिए इसे समझते हैं।" "श्री हरि  बोलो ग्रंथराज श्रीमद्भगवद्गीता जी की जय गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यैः शास्त्र विस्तरैः । या स्वयं पद्म नाभस्य मुख पद्माद्विनिः सृता ।। अथ ध्यानम् शान्ताकारं भुजग शयनं पद्म नाभं सुरेशं विश्व आधारं गगन सदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् । लक्ष्मी कान्तं कमल नयनं योगिभि: ध्यान गम्यम वन्दे विष्णुं भव भयहरं सर्व लोकैक नाथम्...

ईश्वर अर्जुन संवाद श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 7 श्लोक 6 - सृष्टि और ईश्वर के अद्भुत रहस्य

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  नमस्कार दोस्तों, स्वागत है आपका हमारे चैनल पर जहाँ हम भगवद गीता के श्लोकों को सरल और व्यावहारिक रूप से समझते हैं।  "आज हम चर्चा करेंगे भगवद्गीता के अध्याय 7, श्लोक 6 पर। भगवान श्रीकृष्ण ने इस श्लोक में हमें यह सिखाया है कि सृष्टि और ईश्वर के बीच का गहरा संबंध कितना अद्भुत और रहस्यमयी है। आइए, गीता के इस ज्ञान को समझें और अपनी ज़िंदगी में इसे अपनाएं।" "पिछले वीडियो में हमने अध्याय 7 के श्लोक 5 पर चर्चा की थी, जहाँ श्रीकृष्ण ने जीव और निर्जीव प्रकृति के बारे में बताया। आज के श्लोक में हम जानेंगे कि यह दोनों प्रकृतियाँ कैसे आपस में जुड़ी हुई हैं। इस श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण हमें यह समझाते हैं कि यह सारा संसार उनके दोनों रूपों – भौतिक और आध्यात्मिक – के आधार पर टिका हुआ है। वे हमें बताते हैं कि यह सब कुछ उनकी लीला का ही हिस्सा है।" "श्री हरि  बोलो ग्रंथराज श्रीमद्भगवद्गीता जी की जय गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यैः शास्त्र विस्तरैः । या स्वयं पद्म नाभस्य मुख पद्माद्विनिः सृता ।। अथ ध्यानम् शान्ताकारं भुजग शयनं पद्म नाभं सुरेशं विश्व आधारं गगन सदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम...

ईश्वर अर्जुन संवाद श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 7 श्लोक 5 - आत्मा और प्रकृति के बीच का रहस्य

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  नमस्कार दोस्तों, स्वागत है आपका हमारे चैनल पर जहाँ हम भगवद गीता के श्लोकों को सरल और व्यावहारिक रूप से समझते हैं।  आज हम चर्चा करेंगे अध्याय 7 के श्लोक 5 की—आत्मा और प्रकृति के गहरे रहस्यों पर। तो चलिए, इस ज्ञान की यात्रा शुरू करते हैं। "पिछले वीडियो में हमने अध्याय 7 के श्लोक 4 पर चर्चा की थी, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण ने प्रकृति के तत्वों के बारे में बताया। अगर आपने वो वीडियो नहीं देखा, तो जाकर ज़रूर देखें। आज के श्लोक में श्रीकृष्ण हमें आत्मा और प्रकृति के बीच के संबंध और उनकी अहमियत के बारे में बता रहे हैं। यह श्लोक हमारे आध्यात्मिक और व्यक्तिगत जीवन को नई दिशा दे सकता है।" "श्री हरि  बोलो ग्रंथराज श्रीमद्भगवद्गीता जी की जय गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यैः शास्त्र विस्तरैः । या स्वयं पद्म नाभस्य मुख पद्माद्विनिः सृता ।। अथ ध्यानम् शान्ताकारं भुजग शयनं पद्म नाभं सुरेशं विश्व आधारं गगन सदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् । लक्ष्मी कान्तं कमल नयनं योगिभि: ध्यान गम्यम वन्दे विष्णुं भव भयहरं सर्व लोकैक नाथम् ॥ यं ब्रह्मा वरुणेन्द्र रुद्रमरुतः स्तुन्वन्ति दिव्यैः स्तवै- र्वेदैः साङ्ग पद ...

ईश्वर अर्जुन संवाद श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 7 श्लोक 4 - संसार की रचना का आधार

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  ॥ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॥ ईश्वर अर्जुन संवाद श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 7 श्लोक 4 - संसार की रचना का आधार "गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यैः शास्त्र विस्तरैः । या स्वयं पद्म नाभस्य मुख पद्माद्विनिः सृता ।। अथ ध्यानम् शान्ताकारं भुजग शयनं पद्म नाभं सुरेशं विश्व आधारं गगन सदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् । लक्ष्मी कान्तं कमल नयनं योगिभि: ध्यान गम्यम वन्दे विष्णुं भव भयहरं सर्व लोकैक नाथम् ॥ यं ब्रह्मा वरुणेन्द्र रुद्रमरुतः स्तुन्वन्ति दिव्यैः स्तवै- र्वेदैः साङ्ग पद क्रमोपनिषदै: गायन्ति यं सामगाः । ध्यान अवस्थित तद्गतेन मनसा पश्यन्ति यं योगिनो- यस्यान्तं न विदुः सुर असुरगणा देवाय तस्मै नमः ॥ वसुदेव सुतं देवं कंस चाणूर मर्दनम् । देवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम् ॥" "नमस्कार, आपका स्वागत है हमारे चैनल पर जहाँ हम भगवद्गीता के श्लोकों की गहराई में जाकर उनका अर्थ और महत्व समझते हैं। आज के श्लोक में, श्रीकृष्ण अर्जुन को प्रकृति के तत्वों और उनके प्रभावों का ज्ञान दे रहे हैं। चलिए, इस श्लोक को समझकर हमारे जीवन को नया दृष्टिकोण दें। पिछले श्लोक में, हमने जाना कि भगवान श्रीकृष्ण ने भक्ति के...

ईश्वर अर्जुन संवाद श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 7 श्लोक 3 - आत्मा और अध्यात्म के महत्व

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  "गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यैः शास्त्र विस्तरैः । या स्वयं पद्म नाभस्य मुख पद्माद्विनिः सृता ।। अथ ध्यानम् शान्ताकारं भुजग शयनं पद्म नाभं सुरेशं विश्व आधारं गगन सदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् । लक्ष्मी कान्तं कमल नयनं योगिभि: ध्यान गम्यम वन्दे विष्णुं भव भयहरं सर्व लोकैक नाथम् ॥ यं ब्रह्मा वरुणेन्द्र रुद्रमरुतः स्तुन्वन्ति दिव्यैः स्तवै- र्वेदैः साङ्ग पद क्रमोपनिषदै: गायन्ति यं सामगाः । ध्यान अवस्थित तद्गतेन मनसा पश्यन्ति यं योगिनो- यस्यान्तं न विदुः सुर असुरगणा देवाय तस्मै नमः ॥ वसुदेव सुतं देवं कंस चाणूर मर्दनम् । देवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम् ॥" "स्वागत है आपका श्रीमद्भगवद्गीता के ज्ञानवर्धक अध्याय में। आज हम अध्याय 7, श्लोक 3 की अद्भुत व्याख्या करेंगे। भगवान कृष्ण द्वारा दिए गए इस ज्ञान को समझने के लिए वीडियो अंत तक देखें।""  पिछले वीडियो में हमने चर्चा की थी अध्याय 7, श्लोक 2 के बारे में, जहां भगवान कृष्ण ने ज्ञान और विज्ञान की बात की। आइए आज उससे आगे बढ़ें। अध्याय 7, श्लोक 3 में भगवान कृष्ण ने इस दुनिया के महानतम सत्य को उजागर किया है। इस श्लोक में,...