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Showing posts from December, 2024

ईश्वर अर्जुन संवाद श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 6 श्लोक 27 - ध्यान के माध्यम से शांति और आत्म-साक्षात्कार

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  "श्री हरि बोलो ग्रंथराज श्रीमद्भगवद्गीता जी की जय ||" "नमस्कार! स्वागत है आपका हमारे चैनल पर, जहां हम गहराई से समझते हैं भगवद् गीता के श्लोक और उनके संदेश। आज हम चर्चा करेंगे अध्याय 6 के श्लोक 27 की, जो ध्यान और आत्म-साक्षात्कार की यात्रा को विस्तार से बताता है। तो, अंत तक बने रहें और इस दिव्य ज्ञान का लाभ उठाएं। पिछले वीडियो में हमने चर्चा की थी अध्याय 6 के श्लोक 26 की, जिसमें ध्यान में मन को स्थिर रखने की प्रक्रिया को समझाया गया था। आज के श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को बता रहे हैं कि ध्यान के माध्यम से कैसे मनुष्य आत्म-साक्षात्कार और परम शांति को प्राप्त कर सकता है। यह श्लोक ध्यान के लाभ और उसके प्रभाव पर आधारित है।" "॥ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॥ ""गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यैः शास्त्र विस्तरैः । या स्वयं पद्म नाभस्य मुख पद्माद्विनिः सृता ।। अथ ध्यानम् शान्ताकारं भुजग शयनं पद्म नाभं सुरेशं विश्व आधारं गगन सदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् । लक्ष्मी कान्तं कमल नयनं योगिभि: ध्यान गम्यम वन्दे विष्णुं भव भयहरं सर्व लोकैक नाथम् ॥ यं ब्रह्मा वरुणेन्द्र रुद्रमरुत...

ईश्वर अर्जुन संवाद श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 6 श्लोक 26 - ध्यानमग्न योगी का रहस्य!

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  "श्री हरि बोलो ग्रंथराज श्रीमद्भगवद्गीता जी की जय ||" "नमस्ते दोस्तों! आज के वीडियो में हम श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय 6 के श्लोक 26 को समझने वाले हैं, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण ने ध्यान और आत्मसंयम का मार्ग दिखाया है। अगर आप ध्यानमग्न योगी बनना चाहते हैं, तो यह वीडियो आपके लिए है। पिछले वीडियो में हमने अध्याय 6, श्लोक 25 को समझा था, जिसमें मन की स्थिरता और आत्मसंयम का महत्व बताया गया था। आज के श्लोक में, भगवान श्रीकृष्ण हमें सिखाते हैं कि कैसे हमारा मन इधर-उधर भटकने से रोका जा सकता है और ध्यान की शक्ति को बढ़ाया जा सकता है। ध्यान और संयम का यह पाठ हर किसी के लिए बेहद उपयोगी है।" "॥ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॥ ""गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यैः शास्त्र विस्तरैः । या स्वयं पद्म नाभस्य मुख पद्माद्विनिः सृता ।। अथ ध्यानम् शान्ताकारं भुजग शयनं पद्म नाभं सुरेशं विश्व आधारं गगन सदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् । लक्ष्मी कान्तं कमल नयनं योगिभि: ध्यान गम्यम वन्दे विष्णुं भव भयहरं सर्व लोकैक नाथम् ॥ यं ब्रह्मा वरुणेन्द्र रुद्रमरुतः स्तुन्वन्ति दिव्यैः स्तवै- र्वेदैः साङ्ग पद क्र...

ईश्वर अर्जुन संवाद श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 6 श्लोक 25 - आत्म-शुद्धि और ध्यान की महिमा

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  "श्री हरि बोलो ग्रंथराज श्रीमद्भगवद्गीता जी की जय ||" "नमस्कार दोस्तों, स्वागत है आपका हमारे चैनल पर! आज के वीडियो में हम गीता के अध्याय 6 के श्लोक 25 पर चर्चा करेंगे, जहाँ भगवान श्रीकृष्ण आत्म-शुद्धि और ध्यान के महत्व को बताते हैं। यह ज्ञान आपको मानसिक शांति और आत्मिक स्थिरता पाने में मदद करेगा। आइए, इस दिव्य ज्ञान की यात्रा पर आगे बढ़ें। पिछले वीडियो में हमने अध्याय 6 के श्लोक 24 पर चर्चा की, जहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने ध्यान के माध्यम से मन को संयमित करने की शिक्षा दी। यदि आपने वह वीडियो नहीं देखा है, तो उसे ज़रूर देखें। आज हम जानेंगे कि किस प्रकार मन को स्थिर रखकर और ध्यान का अभ्यास करके आत्म-शुद्धि प्राप्त की जा सकती है। यह गीता का एक महत्वपूर्ण संदेश है जो हमें जीवन में शांति और आनंद का मार्ग दिखाता है।" "॥ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॥ ""गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यैः शास्त्र विस्तरैः । या स्वयं पद्म नाभस्य मुख पद्माद्विनिः सृता ।। अथ ध्यानम् शान्ताकारं भुजग शयनं पद्म नाभं सुरेशं विश्व आधारं गगन सदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् । लक्ष्मी कान्तं कमल नयनं योगिभि: ध...

ईश्वर अर्जुन संवाद श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 6 श्लोक 24 - मानसिक शांति का मार्ग

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  "श्री हरि बोलो ग्रंथराज श्रीमद्भगवद्गीता जी की जय ||" "नमस्कार दोस्तों, स्वागत है आपका हमारे चैनल पर! आज हम भगवद गीता के अध्याय 6 के श्लोक 24 पर चर्चा करेंगे। ध्यान और मानसिक शांति का मार्ग जानने के लिए इस वीडियो को अंत तक देखें। चलिए शुरू करते हैं! पिछले वीडियो में हमने अध्याय 6 के श्लोक 23 पर चर्चा की थी, जहां इच्छाओं पर विजय और आत्मनियंत्रण का महत्व बताया गया। आज के श्लोक में श्रीकृष्ण अर्जुन को ध्यान और योग की प्रक्रिया में गहराई से प्रवेश करने का निर्देश देते हैं। यह श्लोक मानसिक शांति और ध्यान का सही मार्गदर्शन प्रदान करता है।" "॥ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॥ ""गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यैः शास्त्र विस्तरैः । या स्वयं पद्म नाभस्य मुख पद्माद्विनिः सृता ।। अथ ध्यानम् शान्ताकारं भुजग शयनं पद्म नाभं सुरेशं विश्व आधारं गगन सदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् । लक्ष्मी कान्तं कमल नयनं योगिभि: ध्यान गम्यम वन्दे विष्णुं भव भयहरं सर्व लोकैक नाथम् ॥ यं ब्रह्मा वरुणेन्द्र रुद्रमरुतः स्तुन्वन्ति दिव्यैः स्तवै- र्वेदैः साङ्ग पद क्रमोपनिषदै: गायन्ति यं सामगाः । ध्यान अवस्थित...

ईश्वर अर्जुन संवाद श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 6 श्लोक 23 - सच्ची शांति और मुक्ति का मार्ग

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  "श्री हरि बोलो ग्रंथराज श्रीमद्भगवद्गीता जी की जय ||" "नमस्कार मित्रों! स्वागत है आपका हमारी भगवद गीता की श्रृंखला में। आज हम अध्याय 6 के श्लोक 23 की चर्चा करेंगे, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण ने बताया है कि कैसे एक योगी सभी दुखों से परे आत्मिक शांति प्राप्त कर सकता है। जुड़ें हमारे साथ इस गहरे आध्यात्मिक अनुभव में। पिछले वीडियो में हमने अध्याय 6, श्लोक 22 के माध्यम से आत्मा की संतुष्टि और स्थायी शांति का रहस्य समझा। आज के श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण बताते हैं कि सच्ची शांति और मुक्ति कैसे प्राप्त की जा सकती है। यह ज्ञान आपके जीवन में गहरा आत्मिक संतुलन लाएगा।" "॥ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॥ ""गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यैः शास्त्र विस्तरैः । या स्वयं पद्म नाभस्य मुख पद्माद्विनिः सृता ।। अथ ध्यानम् शान्ताकारं भुजग शयनं पद्म नाभं सुरेशं विश्व आधारं गगन सदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् । लक्ष्मी कान्तं कमल नयनं योगिभि: ध्यान गम्यम वन्दे विष्णुं भव भयहरं सर्व लोकैक नाथम् ॥ यं ब्रह्मा वरुणेन्द्र रुद्रमरुतः स्तुन्वन्ति दिव्यैः स्तवै- र्वेदैः साङ्ग पद क्रमोपनिषदै: गायन्ति यं सा...

ईश्वर अर्जुन संवाद श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 6 श्लोक 22 - आत्मा की संतुष्टि और शांति का रहस्य

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  "श्री हरि बोलो ग्रंथराज श्रीमद्भगवद्गीता जी की जय ||" "नमस्कार मित्रों! स्वागत है आपका हमारी भगवद गीता श्रृंखला में। आज हम चर्चा करेंगे अध्याय 6, श्लोक 22 की, जहाँ भगवान श्रीकृष्ण आत्मा की अद्भुत शांति और स्थिरता का ज्ञान देते हैं। जुड़े रहें इस आत्मज्ञान के सफर में। पिछले वीडियो में हमने अध्याय 6, श्लोक 21 के माध्यम से समझा कि सच्चा योगी वही है, जो बाहरी भोगों से स्वतंत्र होकर आत्मा में संतोष पाता है। आज के श्लोक में हम जानेंगे कि कैसे यह संतोष और शांति हमारे जीवन को पूर्णता प्रदान कर सकता है।" "॥ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॥ ""गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यैः शास्त्र विस्तरैः । या स्वयं पद्म नाभस्य मुख पद्माद्विनिः सृता ।। अथ ध्यानम् शान्ताकारं भुजग शयनं पद्म नाभं सुरेशं विश्व आधारं गगन सदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् । लक्ष्मी कान्तं कमल नयनं योगिभि: ध्यान गम्यम वन्दे विष्णुं भव भयहरं सर्व लोकैक नाथम् ॥ यं ब्रह्मा वरुणेन्द्र रुद्रमरुतः स्तुन्वन्ति दिव्यैः स्तवै- र्वेदैः साङ्ग पद क्रमोपनिषदै: गायन्ति यं सामगाः । ध्यान अवस्थित तद्गतेन मनसा पश्यन्ति यं योगिनो- यस्या...

ईश्वर अर्जुन संवाद श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 6 श्लोक 21 - आत्मज्ञान का रहस्य

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 "हर कोई चाहता है जीवन में शांति, लेकिन इसका असली स्रोत क्या है? श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो बताया, वही हमें आत्मज्ञान और शांति तक पहुंचा सकता है। चलिए, आज के श्लोक 21 को समझते हैं और इसके गहरे अर्थ में डूबते हैं। पिछले वीडियो में हमने श्लोक 20 के माध्यम से योग की गहराई और आत्मज्ञान की यात्रा की शुरुआत की थी। आज हम इस यात्रा को और आगे बढ़ाएंगे। श्रीकृष्ण बताते हैं कि सच्चा सुख और शांति कहां से मिलते हैं। आइए, श्लोक 21 की व्याख्या करें और जानें कि यह हमारे जीवन में कैसे प्रासंगिक है।" "हम लेके आये है आपके  लिये एक खास Offer. अधिक जानकारी के लिये बने रहे हमारे साथ। श्री हरि बोलो ग्रंथराज श्रीमद्भगवद्गीता जी की जय || ॥ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॥ ""गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यैः शास्त्र विस्तरैः । या स्वयं पद्म नाभस्य मुख पद्माद्विनिः सृता ।। अथ ध्यानम् शान्ताकारं भुजग शयनं पद्म नाभं सुरेशं विश्व आधारं गगन सदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् । लक्ष्मी कान्तं कमल नयनं योगिभि: ध्यान गम्यम वन्दे विष्णुं भव भयहरं सर्व लोकैक नाथम् ॥ यं ब्रह्मा वरुणेन्द्र रुद्रमरुतः स्तुन्वन्ति दिव्यैः स्त...

ईश्वर अर्जुन संवाद श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 6 श्लोक 20 - ध्यान और साधना का महत्व

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"नमस्कार दोस्तों! आपका स्वागत है गीता ज्ञान की इस विशेष श्रृंखला में। आज हम गहराई से समझेंगे अध्याय 6 के श्लोक 20 को। ध्यान और साधना के माध्यम से आत्मा की शांति और भगवान से जुड़ने के रहस्य को जानने के लिए हमारे साथ अंत तक बने रहें। पिछले एपिसोड में हमने श्लोक 19 में ध्यान की स्थिरता और मन की एकाग्रता के महत्व को समझा। हमने जाना कि कैसे ध्यान की प्रक्रिया आत्मिक विकास का मार्ग प्रशस्त करती है। आज हम अध्याय 6 के श्लोक 20 का अध्ययन करेंगे, जहाँ श्रीकृष्ण ध्यान की गहन अवस्था और आत्मा के साथ एकत्व की अनुभूति का वर्णन करते हैं।" "हम लेके आये है आपके  लिये एक खास Offer. अधिक जानकारी के लिये बने रहे हमारे साथ। श्री हरि बोलो ग्रंथराज श्रीमद्भगवद्गीता जी की जय || ॥ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॥ ""गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यैः शास्त्र विस्तरैः । या स्वयं पद्म नाभस्य मुख पद्माद्विनिः सृता ।। अथ ध्यानम् शान्ताकारं भुजग शयनं पद्म नाभं सुरेशं विश्व आधारं गगन सदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् । लक्ष्मी कान्तं कमल नयनं योगिभि: ध्यान गम्यम वन्दे विष्णुं भव भयहरं सर्व लोकैक नाथम् ॥ यं ब्रह्मा वरु...

ईश्वर अर्जुन संवाद श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 6 श्लोक 19 - ध्यान और स्थिरता के गूढ़ रहस्य!

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  "नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपका हमारे चैनल पर, जहाँ हम भगवद गीता के श्लोकों का गहराई से विश्लेषण करते हैं। आज हम अध्याय 6 के श्लोक 19 पर चर्चा करेंगे, जो ध्यान और मन की स्थिरता के गूढ़ रहस्य को उजागर करता है। बने रहिए हमारे साथ इस अद्भुत यात्रा में। पिछले श्लोक में हमने जाना कि किस प्रकार संतुलित आहार, दिनचर्या और जीवनशैली ध्यान के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह हमें मन और शरीर के बीच सामंजस्य स्थापित करने में मदद करता है। आज के श्लोक में, श्रीकृष्ण अर्जुन को समझा रहे हैं कि ध्यान में मन की स्थिति कैसी होनी चाहिए। इसे एक दीपक की स्थिर लौ से तुलना करते हुए, उन्होंने ध्यान की शक्ति को उजागर किया है।" "हम लेके आये है आपके  लिये एक खास Offer. अधिक जानकारी के लिये बने रहे हमारे साथ। श्री हरि बोलो ग्रंथराज श्रीमद्भगवद्गीता जी की जय || ॥ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॥ ""गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यैः शास्त्र विस्तरैः । या स्वयं पद्म नाभस्य मुख पद्माद्विनिः सृता ।। अथ ध्यानम् शान्ताकारं भुजग शयनं पद्म नाभं सुरेशं विश्व आधारं गगन सदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् । लक्ष्मी कान्तं कमल नयनं योगि...

ईश्वर अर्जुन संवाद श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 6 श्लोक 18 - आत्मसंयम और ध्यान की महिमा

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  "नमस्कार मित्रों! स्वागत है आपका श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय 6 के अद्भुत ज्ञान में, जहाँ हम श्लोक 18 का गहराई से अध्ययन करेंगे। यह श्लोक हमें सिखाता है कि एक योगी का ध्यान और आत्मसंयम कैसे उसके जीवन को परमात्मा के साथ जोड़ सकता है। आइए इस दिव्य ज्ञान में डूबें। पिछले वीडियो में हमने श्लोक 17 में सीखा कि योगी के लिए संतुलित जीवन कितना महत्वपूर्ण है। हमने देखा कि भोजन, विश्राम और कार्य में संतुलन ध्यान में सफलता का आधार है। आज हम श्लोक 18 की चर्चा करेंगे, जहाँ भगवान श्रीकृष्ण हमें सिखा रहे हैं कि ध्यान और आत्मसंयम कैसे हमें आत्मा की शुद्धता और परमात्मा की अनुभूति तक पहुँचाता है।" "हम लेके आये है आपके  लिये एक खास Offer. अधिक जानकारी के लिये बने रहे हमारे साथ। श्री हरि बोलो ग्रंथराज श्रीमद्भगवद्गीता जी की जय || ॥ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॥ ""गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यैः शास्त्र विस्तरैः । या स्वयं पद्म नाभस्य मुख पद्माद्विनिः सृता ।। अथ ध्यानम् शान्ताकारं भुजग शयनं पद्म नाभं सुरेशं विश्व आधारं गगन सदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् । लक्ष्मी कान्तं कमल नयनं योगिभि: ध्यान गम्यम...

ईश्वर अर्जुन संवाद श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 6 श्लोक 17 - ध्यान, योग और आत्म-संतुलन का मार्गदर्शन

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  "नमस्कार मित्रों! स्वागत है आपका हमारे चैनल पर, जहां हम श्रीभगवद्गीता के गूढ़ रहस्यों को सरल शब्दों में समझते हैं। आज हम चर्चा करेंगे अध्याय 6 श्लोक 17 की, जिसमें श्रीकृष्ण हमें सिखाते हैं योग और आत्म-संतुलन का महत्व। चलिए, इस अद्भुत ज्ञान यात्रा को शुरू करते हैं। पिछले वीडियो में हमने अध्याय 6 श्लोक 16 का अर्थ समझा, जहां श्रीकृष्ण ने असंयमित जीवन के परिणामों के बारे में बताया था। आज हम उससे एक कदम आगे बढ़कर संतुलित जीवन के लाभों को जानेंगे। आज हम चर्चा करेंगे अध्याय 6 श्लोक 17 पर, जिसमें श्रीकृष्ण हमें बताते हैं कि संतुलित आहार, श्रम और ध्यान से हम कैसे योग में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।" "हम लेके आये है आपके  लिये एक खास Offer. अधिक जानकारी के लिये बने रहे हमारे साथ। श्री हरि बोलो ग्रंथराज श्रीमद्भगवद्गीता जी की जय || ॥ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॥ ""गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यैः शास्त्र विस्तरैः । या स्वयं पद्म नाभस्य मुख पद्माद्विनिः सृता ।। अथ ध्यानम् शान्ताकारं भुजग शयनं पद्म नाभं सुरेशं विश्व आधारं गगन सदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् । लक्ष्मी कान्तं कमल नयनं योगिभि...