मैं ही सूर्य की तपन, वर्षा और अमृत हूँ! | श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 9 श्लोक 19 | Geeta Ka Gyaan"
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"मैं ही सूर्य की तपन, वर्षा और अमृत हूँ! | श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 9 श्लोक 19 | Geeta Ka Gyaan"
🙏 "क्या आपने कभी सोचा है कि जो कुछ भी इस ब्रह्मांड में है, वह भगवान का ही स्वरूप है?"
🔎 श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय 9 के श्लोक 19 में भगवान श्रीकृष्ण ने यह रहस्य बताया कि वे ही सूर्य की ऊष्मा, वर्षा लाने वाले और अमृत प्रदान करने वाले हैं। यह जानना हमारे लिए क्यों जरूरी है? क्या हम प्रकृति को भगवान का ही रूप मानते हैं? आइए इस गहरे ज्ञान को समझें।
🛑 यह वीडियो क्यों देखें?
✔️ कैसे भगवान हर प्राकृतिक तत्व में मौजूद हैं?
✔️ क्या हमारी सोच और कर्मों का सीधा संबंध प्रकृति से है?
✔️ कैसे यह श्लोक हमारे जीवन में संतुलन और शांति ला सकता है?
📌 कल के वीडियो में हम अध्याय 9 श्लोक 20 की व्याख्या करेंगे।
📅 डेली शेड्यूल:
📌 शॉर्ट्स: सुबह 9:40 बजे
📌 प्रीमियर वीडियो: सुबह 10:30 बजे
💬 क्या आपको कभी ऐसा अनुभव हुआ है कि भगवान ने प्रकृति के माध्यम से आपको कोई संकेत दिया हो? हमें कमेंट में बताएं!
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🔔 नमस्कार दोस्तों! क्या आपने कभी सोचा है कि भगवान सिर्फ मंदिर में नहीं बल्कि हमारे चारों ओर मौजूद हैं?
🌞 जब सूरज चमकता है, 🌧️ जब बारिश होती है, 🍀 जब कोई हमें जीवन देने वाली औषधि मिलती है—क्या ये सभी भगवान के ही रूप नहीं हैं?
आज हम श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय 9 के श्लोक 19 को समझेंगे, जहाँ भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि वे ही सूर्य की तपन, जल की वर्षा और अमृत हैं।
तो, क्या हम सच में भगवान को पहचान पा रहे हैं? 🤔
👇 सबसे पहले, एक सवाल आप सबके लिए!
💡 क्या आपको कभी लगा है कि प्रकृति ने आपको कोई संकेत दिया हो? अपने अनुभव शेयर करें!
पिछले श्लोक (अध्याय 9 श्लोक 16-18) में हमने जाना कि भगवान हर यज्ञ, मंत्र, हवन और फल में समाहित हैं।
आज हम इसे और विस्तार से समझेंगे कि कैसे वे हमारे चारों ओर मौजूद हैं, लेकिन हम उन्हें पहचान नहीं पाते।
📖 आज का श्लोक (अध्याय 9, श्लोक 19)
👉 श्रीकृष्ण कहते हैं:
"मैं ही सूर्य की ऊष्मा हूँ, मैं ही वर्षा लाने वाला और रोकने वाला हूँ, मैं ही अमरत्व देने वाला अमृत हूँ।"
🚀 इसका अर्थ क्या है?
✔️ जब भी सूर्य हमें ऊर्जा देता है, वह श्रीकृष्ण का ही स्वरूप है।
✔️ जब वर्षा होती है और जीवन चलता है, वह भी उन्हीं की कृपा है।
✔️ जब हम कोई औषधि या जीवनदायी तत्व पाते हैं, वह भी भगवान के बिना संभव नहीं।
🤔 क्या हमने कभी सोचा है कि हम इस सृष्टि के साथ कैसे जुड़ते हैं? हमें बताइए!
🔮 आज की सीख
✅ भगवान हमें हर रूप में दर्शन देते हैं, हमें उन्हें पहचानना आना चाहिए।
✅ प्रकृति को नमन करें, क्योंकि वही भगवान का प्रत्यक्ष रूप है।
✅ गीता हमें सिखाती है कि हर चीज़ में भगवान का अंश होता है।
📌 अगले वीडियो में हम अध्याय 9 के श्लोक 20 की चर्चा करेंगे, जहाँ श्रीकृष्ण यह बताएंगे कि जो लोग यज्ञ और पूजन करते हैं, वे किस प्रकार पुण्य लोक को प्राप्त करते हैं।
⚡ तो इस ज्ञान यात्रा में जुड़े रहिए!
🎉 दोस्तों, गीता का ज्ञान हर व्यक्ति के लिए है, और इसका प्रसार ही सच्ची सेवा है।
👉 तो क्या आपने आज का ज्ञान किसी और से साझा किया?
🙏 आज ही अपने किसी प्रियजन को इस वीडियो का लिंक भेजिए और उनसे पूछिए कि उन्हें गीता से कौन सा समाधान मिला!
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