ब्रह्मा का एक दिन और एक रात – सृष्टि और प्रलय का रहस्य"

 

ब्रह्मा का एक दिन और एक रात – सृष्टि और प्रलय का रहस्य"


🔷 संस्कृत श्लोक एवं हिंदी अर्थ

श्लोक 17

सहस्रयुगपर्यन्तमहर्यद्ब्रह्मणो विदुः |
रात्रिं युगसहस्रान्तां तेऽहोरात्रविदो जनाः || 17 ||

हिंदी अर्थ:

जो लोग ब्रह्मा का दिन और रात जानते हैं, वे समझते हैं कि ब्रह्मा का एक दिन हजार युगों (सहस्र युग) के बराबर होता है, और इतनी ही अवधि तक उनकी रात रहती है।


श्लोक 18

अव्यक्ताद्व्यक्तयः सर्वाः प्रभवन्त्यहरागमे |
रात्र्यागमे प्रलीयन्ते तत्रैवाव्यक्तसंज्ञके || 18 ||

हिंदी अर्थ:

जब ब्रह्मा का दिन प्रारंभ होता है, तो संपूर्ण भौतिक सृष्टि अव्यक्त (अदृश्य) से व्यक्त (प्रकट) होती है, और जब उनकी रात होती है, तब सब कुछ पुनः अव्यक्त (अदृश्य) में लीन हो जाता है।


📌 इस श्लोक का सारांश और शिक्षा

1. सृष्टि और प्रलय का चक्र
भगवान श्रीकृष्ण समझाते हैं कि ब्रह्मा का एक दिन और रात हजारों युगों के बराबर होती है। जब दिन शुरू होता है, तो संसार की रचना होती है और जब रात होती है, तो प्रलय हो जाता है।

2. भौतिक जगत अस्थायी है
यह संसार अनंत नहीं है। प्रत्येक युग के बाद सृष्टि का निर्माण और प्रलय होता रहता है।

3. आत्मा अमर है
हालांकि भौतिक जगत नष्ट होता रहता है, आत्मा कभी नष्ट नहीं होती।

4. मोक्ष ही अंतिम लक्ष्य है
जो व्यक्ति इस भौतिक संसार के चक्र को समझकर भगवान की भक्ति करता है, वही जन्म-मरण के चक्र से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करता है।

5. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी युगों की अवधारणा महत्वपूर्ण है
आधुनिक विज्ञान भी मानता है कि सृष्टि का निर्माण और विनाश एक नियमित प्रक्रिया है।


🌟 क्या हम इस चक्र से मुक्त हो सकते हैं?

जी हां! अगर हम श्रीकृष्ण की शरण में जाते हैं और सच्ची भक्ति करते हैं, तो हम इस जन्म-मरण के चक्र से बच सकते हैं और भगवान के धाम को प्राप्त कर सकते हैं।

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