Blog Post: मृत्यु के समय भगवान श्रीकृष्ण को याद करने का रहस्य (श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 8, श्लोक 5)


 🔹 श्लोक 5:

अन्तकाले च मामेव स्मरन्मुक्त्वा कलेवरम् |
यः प्रयाति स मद्भावं याति नास्त्यत्र संशयः ॥

🔹 अर्थ:
भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को समझाते हैं कि जो व्यक्ति मृत्यु के समय केवल मुझे स्मरण करता हुआ शरीर त्यागता है, वह निश्चित रूप से मेरे स्वरूप को प्राप्त करता है। इसमें कोई संशय नहीं है।

📝 मुख्य बिंदु:

अंत समय का महत्व – जीवन के अंतिम क्षणों में जिसे स्मरण किया जाता है, वही गति प्राप्त होती है।
भगवान श्रीकृष्ण का आश्वासन – जो उनकी भक्ति करता है और अंतिम समय में उन्हें याद करता है, वह मोक्ष को प्राप्त करता है।
शाश्वत सत्य – इसमें कोई संदेह नहीं कि जो कृष्ण को अंत समय में याद करेगा, वह उन्हीं के धाम में जाएगा।

👉 यह श्लोक हमें यह सिखाता है कि संपूर्ण जीवन में भगवान का भजन और स्मरण करना चाहिए, ताकि मृत्यु के समय हमारा चित्त उन्हीं में स्थिर रहे।

Comments

Popular posts from this blog

📖 श्रीमद्भगवद्गीता – अध्याय 8, श्लोक 22 "परम सत्य की प्राप्ति का मार्ग"

📖 श्रीमद्भगवद्गीता – अध्याय 8, श्लोक 27 "ज्ञान और मोक्ष के मार्ग को समझना"

ईश्वर-अर्जुन संवाद: अंतिम क्षण में क्या स्मरण करें? (श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 8, श्लोक 6)